चीनी तकनीकी दिग्गज अलीबाबा ने अपना नया AI टूल, EMO (Emote Portrait Alive) लॉन्च किया है। जैसा कि नाम से ही समझ में आता है, यह इन्नोवेटिव टूल किसी भी स्थिर तस्वीर को एक ऐसे वीडियो में बदल सकता है जिसमें इंसान बोल या गा सकता है। EMO का उद्देश्य AI-जनरेटेड वीडियो बनाने की प्रक्रिया को आसान और सुलभ बनाते हुए एनीमेशन और वीडियो निर्माण उद्योगों में क्रांति लाना है।
EMO कैसे काम करता है
EMO एक ऑडियो-टू-वीडियो तकनीक पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि यह केवल ऑडियो इनपुट का उपयोग करके एक स्थिर तस्वीर से एक यथार्थवादी वीडियो बना सकता है। यह तकनीक एक Diffusion Model का उपयोग करती है जो दी गई तस्वीर के आधार पर चेहरे की विशेषताओं की एक श्रृंखला तैयार करती है। फिर ऑडियो इनपुट के अनुसार होंठों की गति से लेकर आंखों के हाव-भाव तक को सिंक किया जाता है। इससे मिलता-जुलता और सजीव वीडियो बनता है।
यह भी पढ़े: Samsung Galaxy Ring: हार्ट रेट मॉनिटरिंग जैसे फीचर्स देखने को मिलेंगे
विशिष्ट विशेषताएं
- विभिन्न भाषाओं का समर्थन: EMO कई भाषाओं का समर्थन करता है, जिससे यह वैश्विक दर्शकों के लिए उपयोगी टूल बन जाता है।
- लय के साथ लिप सिंक: सिर्फ बात करने से परे, EMO किसी भी गाने की लय के साथ होंठों के हावभाव को मिला सकता है, जिससे संगीतमय वीडियो बनते हैं।
- भावनात्मक अनुकूलन: यह टूल भावनाओं को समझता है, यानी किसी ऑडियो क्लिप का भाव, चाहे वह खुश, उदास, या क्रोधित हो, वीडियो में चेहरे के भावों परिलक्षित होता है।
संभावित उपयोग:
EMO तकनीक कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है:
- फिल्म और मनोरंजन उद्योग: EMO फिल्म निर्माताओं और एनिमेटरों के लिए एक शक्तिशाली टूल हो सकता है, जिससे उन्हें कम समय व संसाधनों के साथ यथार्थवादी पात्रों को बनाने में मदद मिलती है।
- शिक्षा: इस तकनीक का उपयोग शैक्षिक सामग्री को आकर्षक बनाने के लिए किया जा सकता है। इतिहास के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की तस्वीरों को जीवंत कर उन्हें बोलते हुए दिखाना, शिक्षा को मजेदार बना सकता है।
- वर्चुअल असिस्टेंट (Virtual Assistants): EMO का उपयोग मानवीय वर्चुअल असिस्टेंट बनाने में किया जा सकता है, जिससे इंटरैक्शन और प्राकृतिक लगेगा। ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्र में यह बेहद उपयोगी होगी।
- ऐतिहासिक तस्वीरों को जीवंत करना: इस AI टूल से पुरानी ऐतिहासिक तस्वीरों को जीवंत भी किया जा सकता है, जिससे हमें अतीत को नए नजरिए से देखने का मौका मिलेगा।
नैतिक विचार
अलीबाबा के EMO जैसी AI-जनरेटेड वीडियो तकनीक कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हो सकते हैं, लेकिन वे नैतिक चिंताएं भी उठाते हैं:
- डीपफेक का खतरा: डीपफेक बनाने के लिए इस AI टूल जैसी तकनीक का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है, नकली वीडियो जिनसे झूठी जानकारी व दुष्प्रचार फैलाया जा सकता है।
- गोपनीयता के मुद्दे: यह तकनीक संवेदनशील सामग्री बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है, खासकर बिना व्यक्ति की अनुमति के उनकी तस्वीर का उपयोग कर।
निष्कर्ष
अलीबाबा का EMO एक अभूतपूर्व AI टूल है जिसमें सामग्री निर्माण और मनोरंजन उद्योगों को बदलने की क्षमता है। हालांकि, नैतिकता से संबंधित चिंताओं से सावधान रहना होगा। इस तरह के शक्तिशाली AI टूल्स के विकास के साथ ही, गलत उपयोग से बचने और समाज पर पड़ने वाले संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय विकसित करना आवश्यक है।
क्या आपको लगता है कि अलीबाबा के EMO जैसे AI टूल भविष्य में अधिक प्रचलित होंगे? नीचे टिप्पणी में विचार साझा करें!