हाल ही में, Neuralink ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने दुनिया के सामने ऐसे पहले व्यक्ति को पेश किया, जिसके दिमाग में Neuralink का चिप लगाया गया है और वह सिर्फ अपने विचारों से ही शतरंज का खेल खेल सकता है।
इलॉन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक (Neuralink) दिमाग-मशीन इंटरफेस (Brain-Machine Interface – BMI) टेक्नोलॉजी विकसित कर रही है, जिसका मकसद मानव मस्तिष्क को कंप्यूटरों से सीधे जोड़ना है।
आइए, आज के इस लेख में हम आपको न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी और दुनिया के पहले न्यूरालिंक मरीज की कहानी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
#1. Neuralink टेक्नोलॉजी – दिमाग और मशीन का संगम
Neuralink एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है, जिसकी स्थापना 2016 में Elon Musk द्वारा की गई थी। इस कंपनी का मुख्य लक्ष्य एक ऐसा Neuralink डिवाइस बनाना है, जिसे दिमाग में लगाकर मनुष्य सीधे कंप्यूटरों से जुड़ सके।
यह डिवाइस दिमाग की न्यूरल गतिविधियों को पढ़ने और समझने में सक्षम होगा। इसके बाद, इन संकेतों को कंप्यूटर को ट्रांसलेट किया जाएगा, जिससे कंप्यूटर मनुष्य के विचारों के अनुसार कार्य कर सकेगा।
Neuralink टेक्नोलॉजी अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसके संभावित अनुप्रयोग बहुत व्यापक हैं। इसका इस्तेमाल भविष्य में कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
चिकित्सा क्षेत्र: न्यूरालिंक का इस्तेमाल लकवाग्रस्त लोगों को दोबारा चलने या बोलने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही, मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के इलाज में भी इसकी अहम भूमिका हो सकती है।
मनोरंजन क्षेत्र: न्यूरालिंक का इस्तेमाल वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) के अनुभव को और भी ज्यादा यथार्थिक बनाने के लिए किया जा सकता है।
दैनिक जीवन: न्यूरालिंक का इस्तेमाल स्मार्ट होम उपकरणों को नियंत्रित करने या सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जैसे कार्यों को सिर्फ विचारों से ही करने के लिए किया जा सकता है।
हालांकि, Neuralink टेक्नोलॉजी अभी भी विकास के दौर में है और इसके इस्तेमाल से जुड़े कई नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं। लेकिन, यह निश्चित है कि Neuralink भविष्य की एक क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी बनने की क्षमता रखती है।
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#2. दिमाग से शतरंज खेलने वाले पहले इंसान:
फरवरी 2024 में, Neuralink ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया के सामने नोलन अरबॉघ (Noland Arbaugh) नाम के व्यक्ति को पेश किया। नोलन पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके दिमाग में न्यूरालिंक का चिप लगाया गया है।
नोलन कंधे से नीचे लकवाग्रस्त हैं, लेकिन न्यूरालिंक चिप की मदद से वह अपने दिमाग के संकेतों से कंप्यूटर को कमांड दे सकते हैं। Neuralink की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नोलन ने सभी को चौंका दिया, जब उन्होंने सिर्फ अपने विचारों से ही शतरंज का खेल खेला।
न्यूरालिंक डिवाइस दिमाग की न्यूरल गतिविधियों को पढ़ता है, खासकर उन गतिविधियों को जो हाथों या आंखों की गतिविधियों से जुड़ी होती हैं।
इस मामले में, जब नोलन शतरंज के बोर्ड पर कोई चाल चलने के बारे में सोचते हैं, तो उनके दिमाग में खास तरह की न्यूरल गतिविधियां होती हैं। Neuralink चिप इन गतिविधियों को पहचान लेता है और उन्हें कंप्यूटर को ट्रांसलेट कर देता है।
कंप्यूटर इस ट्रांसलेशन को समझकर नोलन द्वारा सोची गई चाल को शतरंज के बोर्ड पर प्रदर्शित कर देता है। इस तरह, नोलन सिर्फ अपने विचारों से ही शतरंज का खेल खेल सकते हैं।
नोलन की यह उपलब्धि न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी की सफलता का एक बड़ा उदाहरण है। यह दिखाता है कि कैसे भविष्य में न्यूरालिंक का इस्तेमाल शारीरिक अक्षमताओं से जूझ रहे लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।
हालांकि, अभी यह तकनीक पूरी तरह से परिपूर्ण नहीं है। नोलन को शतरंज का खेल धीमी गति से खेलना पड़ता है, क्योंकि कंप्यूटर को उनके दिमाग के संकेतों को समझने में थोड़ा समय लगता है।
साथ ही, अभी तक Neuralink चिप जटिल विचारों को समझने में सक्षम नहीं है। लेकिन, Neuralink लगातार इस टेक्नोलॉजी को विकसित कर रही है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में यह और भी ज्यादा उन्नत हो जाएगी।
— Neuralink (@neuralink) March 20, 2024
#3. Neuralink टेक्नोलॉजी से जुड़े भविष्य के सवाल
न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी भले ही बहुत रोमांचक है, लेकिन इसके इस्तेमाल से जुड़े कई सवाल भी उठ रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सवाल हैं:
नैतिकता: क्या दिमाग में चिप लगाना नैतिक रूप से सही है? क्या इससे मानव मस्तिष्क की स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी?
सुरक्षा: अगर न्यूरालिंक चिप हैक हो जाए, तो क्या होगा? दिमाग की चोरी जैसी चीजें क्या भविष्य में संभव हो जाएंगी?
डिजिटल विभाजन: क्या न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी सिर्फ अमीर लोगों के लिए ही उपलब्ध होगी? इससे क्या समाज में एक नया तरह का डिजिटल विभाजन पैदा हो सकता है?
न्यूरालिंक को इन सवालों के जवाब ढूंढने होंगे, तभी यह टेक्नोलॉजी सफल हो सकती है। साथ ही, सरकारों को भी इस तरह की टेक्नोलॉजी के नियमन के लिए सख्त कानून बनाने होंगे।
#4. निष्कर्ष
Neuralink टेक्नोलॉजी अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन इसकी क्षमता अपार है। दिमाग से शतरंज खेलने वाले पहले इंसान की कहानी इस बात का सबूत है कि Neuralink भविष्य में मानव जीवन को किस तरह से बदल सकता है।
हालांकि, इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से जुड़े कई सवालों का भी जवाब ढूंढना जरूरी है। तभी Neuralink मानवता के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।